जनवरी 2018 में जम्मू-कश्मीर के कठुआ में एक 8 वर्षीय बच्ची का गैंगरेप किया गया था। जिस बच्ची का बलात्कार हुआ, वो कई दिनों से गायब थी। एक सप्ताह बाद गाँव से क़रीब 1 किलोमीटर दूर उसकी लाश मिली थी
कठुआ गैंगरेप कांड में नया मोड़ आया है। कोर्ट ने इस मामले की जाँच कर रही जम्मू-कश्मीर पुलिस की टीम पर ही एफआईआर दर्ज करने के निर्देश दिए हैं। विशेष जाँच दल (STF) की 6 सदस्यीय टीम इस मामले की जाँच कर रही थी। न्यायिक मजिस्ट्रेट प्रेम सागर की अदालत ने इस मामले में उन सभी 6 अधिकारीयों पर एफआईआर दर्ज करने का निर्देश दिया है, जो इस मामले की जाँच कर रहे थे। अदालत ने सचिन शर्मा, साहिल शर्मा और नीरज शर्मा नामक तीन गवाहों की याचिका पर सुनवाई करते हुए जम्मू के एसएसपी को ये निर्देश दिया। अदालत ने कहा कि इन सभी 6 लोगों के ख़िलाफ़ संज्ञेय अपराध बनता है।
जनवरी 2018 में जम्मू कश्मीर के कठुआ में एक 8 वर्षीय बच्ची का गैंगरेप किया गया था। इस मामले में पुलिस ने कुछ लोगों को गिरफ़्तार किया था और उनके ख़िलाफ़ चार्जशीट दायर की गई थी। आरोपित विशाल जंगोत्रा का दावा था कि जब ये घटना हुई, तब वह यूपी में था और अपने कॉलेज में परीक्षाएँ दे रहा था। कठुआ में जिस बच्ची का बलात्कार हुआ, वो कई दिनों से गायब थी। लगभग एक सप्ताह बाद गाँव से क़रीब 1 किलोमीटर दूर उसकी लाश मिली थी। स्थानीय लोगों ने इस मामले में सीबीआई जाँच की माँग की थी।
अदालत ने तत्कालीन एएसपी पीरजादा नावीद के ख़िलाफ़ भी एफआईआर दर्ज करने का निदेश दिया है, जो अब रिटायर हो चुके हैं। आरोप है कि एसआईटी ने झूठे बयान देने के लिए गवाहों को प्रताड़ित किया था और उनका शोषण कर उन्हें विवश किया। ये सभी जम्मू-कश्मीर क्राइम ब्रांच के अधिकरी थे। आरोप है कि विशाल जंगोत्रा के ख़िलाफ़ झूठे सबूत तैयार करने के लिए पुलिस ने ऐसा किया। गवाहों ने अदालत को बताया था कि उनके द्वारा शिकायत दर्ज कराने के बावजूद पुलिस ने अभी तक कोई एक्शन नहीं लिया है।
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